फिसलती जाती है ज़िंदगी यूं हाथों से ,
मानो समय नहीं;रेत हो मेरे हाथों में ,
कण-कण ,पल-पल ;अलग-अलग ;
--------------------छितराया सा !
ढूंढती हूँ खुद को ,पाऊँ कहाँ ,मैं ;-जाऊँ कहाँ ,
खो रही हूँ मैं ,कतरा -कतरा ----;
रीतते पल ,छीजती जाती है जिंदगी
मानो समय नहीं;रेत हो मेरे हाथों में ,
कण-कण ,पल-पल ;अलग-अलग ;
--------------------छितराया सा !
ढूंढती हूँ खुद को ,पाऊँ कहाँ ,मैं ;-जाऊँ कहाँ ,
खो रही हूँ मैं ,कतरा -कतरा ----;
रीतते पल ,छीजती जाती है जिंदगी