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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

सोमवार, 13 जनवरी 2014

थोड़ा सा बचपन

नहीं जानती कि आज दिन कौन सा है 
आज मदर्स डे है कि नहीं ;मगर -
आज हमने बहुत मस्ती की 
मैंने और मेरी बेटी ने 
घूमे फिरे और अपनी प्यारी बाइक पर खूब दूर तक राइड की 
पता है सारनाथ तक गए थे हम
अपने टू व्हीलर पर, उतनी तेज़ ;जितना कोई चल सकता है यहाँ -
मगर सच ,मजा बहुत आया, बचपन अपना याद आ गया -
सारी चिंताओं को छोड़ कर ,परेशानियों से मुंह मोड़ कर-
जीने का ये भी एक तरीका है -
- और फिर ;हम मॉल भी गए और शौपिंग भी की
न न घबराओ नहीं , शौपिंग नहीं -सिर्फ विंडो शौपिंग
जैसी करते थे कॉलेज लाइफ में -पैसे जो नहीं होते थे
मगर उसकी बात ही कुछ और थी ;आज भी -
बस मजा आ ही गया, याद आ गया ;कि
--हमेशा पाना ही सब कुछ नहीं होता
देखने और पसंद करने का भी एक ख़ास ही मज़ा है .
खैर आइस क्रीम तो खाई हमने और बर्गर भी
बाँट कर ,उसने ज्यादा ,मैंने थोडा (shhh-- मैं डाइटिंग पर जो हूँ )
मगर खाया ;और सच कहूँ मजा उस से कहीं ज्यादा आया
और अब हम आ गए हैं घर ,वो सो रही है बगल में मेरे चुपचाप
थक जो गयी है, कल चली जायेगी तो फिर वही मैं अकेली -
मगर साथ तो होगी वो और मेरा थोडा सा बचपन ;
जो लौटा गयी है मुझे जाते जाते --चेतना

शनिवार, 4 जनवरी 2014

एक अहसास -पहले प्यार के नाम --
इक रूमानियत सी जहन पे तारी है सपनों की दुनिया में जी रही हूँ मैं 
सीने में इक हूक सी उठती है कभी तो लगता है कि जैसे तेरा खयाल आ गया 
इक उलझन सी है खायालों में ,इक ख़लिश सी जगी है सीने में 
इस उलझन इस ख़लिश को नाम दूँ तो क्या -?
निगाह तेरी खयालात भी तेरे हैं ----
चाहती हूँ कि न देखूँ तेरी जानिब मगर मुश्किल है --
जब भी कुछ सरगोशी सी होती है तो लगता है कि तू आ गया
नही होता है जब तू मेरे आसपास ,निगाहों को तलाश रहती है तेरी
और जब होता है मेरे सामने ,निगाहें क्यों झुकी सी जाती हैं
पलकों में तेरे सपने और दिल को तेरी चाहत है ज़रूर
ज़िंदगी भर हमसफर बन के चलने का खयाल भी है साथ-साथ
कितना मुश्किल है ;उफ --ये दिल को समझा पाना कि ;सब्र कर --
इस वक़्त तो ;सिर्फ =
रूमानियत सी ज़हन पे तारी है और सपनों कि दुनिया में जी रही हूँ मैं

_________________________________________________चेतना